रविवार, 14 अप्रैल 2024

साहब का दर्द 💕

जब हम दर्द में होते हैं तो हमारी करूँण पुकार क्या साहब तक नहीं पहुँचती होगी? हमारी दर्द भरी पुकार साहब तक जरूर पहुँचती है। वो हमारी दुर्दशा देखकर सो भी नहीं पाते होंगे। जिस दिन हम उनके नाम की कंठी माला धारण करते हैं उसी दिन से हमारी तारी उनसे जुड़ जाती है। उसी दिन से वो हमारी सुध लेना शुरू कर देते हैं, उसी दिन से वो हमारे हो जाते हैं और हम उनके। 

हमारे दर्द में तो वो हर क्षण हमारे साथ होते हैं, कभी अपनी वाणीयों के रूप में, कभी चरणामृत तो कभी प्रसाद के रूप में और कभी किसी संत के रूप में। कभी प्रत्यक्ष तो कभी अप्रत्यक्ष रूप में। लेकिन उनके दर्द में उनके साथ कौन होता है? वो तो जग कल्याण के लिए ही हमारे बीच हैं, क्या हमारी चीख पुकार सुनकर उनके नेत्रों से अश्रु धारा नहीं बहती होगी? 

जब कभी उनकी जगह अपने आप को रखकर देखता हूँ तो पाता हूँ की साहब बेपनाह दर्द में हैं, साहब नितांत अकेले हैं। और हम यह समझकर पल्ला झाड़ लेते हैं की वो तो परमात्मा हैं, साहब हैं, उन्हें भला क्या दर्द, क्या पीड़ा...। 
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