मेरी खोज को अगर आप सही दिशा न देते, मुझ पर अपनी अनंत कृपा न बरसाते, मुझे न अपनाते तो जीवन यूं ही बेमतलब गुजर जाता। जानता हूँ जीवन के इस उबड़ खाबड़ और ढलान भरी पगडंडियों में आपने मेरी उंगली पकड़ रखी है, हमसफर की तरह साथ जीते हैं, मुझे संभालते और संवारते हैं, मेरे साथ परछाई की तरह मुझमें ही कहीं रहते हैं। तभी तो आपके नाम की खुशबू से जीवन का कोना कोना महक रहा है।
अपनी अनुभूतियों के खूबसूरत लम्हों से मेरा संसार सजाने, मुझे मुझसे ही मिलाने, अपने विराट स्वरूप का दर्शन कराने, इस मानव तन में परमात्म तत्व का साक्षात्कार कराने के लिए आपका शुक्रिया, शुक्रिया, शुक्रिया साहब। जीवन की अंतिम घड़ी भी आपके चरणों में ही गुजरे। आपके चरणों में बंदगी, सप्रेम साहेब बंदगी ...💐
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें