कुछ लोग पूरा रायता फैला देते हैं यार। लोगों को दिग्भ्रमित करते हैं, अपना झोला भरते हैं। उन्हें दंड तो नहीं दे सकता, चार चप्पल भी नहीं मार सकता। लेकिन मेरे ताज पर उंगली उठाने वालों और मर्यादा लांघने वालों को निःशब्द में कुछ न कुछ जरूर देता हूँ।
मेरे निःशब्द उनकी जिंदगी को कभी न कभी अवश्य छुएँगे, तिलमिला उठेंगे... एक न एक दिन आदिपुरुष कौन हैं समझ जाएंगे... तब तक देर हो जाए... #@$%
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें