सबके सो जाने के बाद वो हृदय का द्वार अपने प्रियतम के लिए खोलता है, उन्हें प्रेम का सुमन गुच्छ भेंट करता है, उनकी छाया में देर तक रहता है, उनसे दिल की बातें कहता है। उनके आगोश में अपना अस्तित्व बिछा देता है। कमरे के अँधरे में भी चांदनी खिल उठती है, उनकी खुशबू से रात महक उठती है, उनके दिव्य स्पर्श से अस्तित्व पुलकित हो उठता है।
इसी तरह हर रोज, हर पल, हर क्षण वो अपने प्रियतम की प्रतीक्षा करता है, पलकें बिछाए उनके आने की राह देखता है। प्रेयसी की इस प्रतीक्षा में मिलन की गहरी व्याकुलता है, बरसों की प्यास है, स्वाति बून्द की आस है...
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