मैंने अपनी उदासी और तन्हाई से वादा किया था कि मै उसे खुद से दूर जाने नहीं दूँगा, थोड़ा ही सही लेकिन उसे भी वक़्त जरूर दूँगा। क्योंकि जब खुशी मेरे पास नहीं थी, तब ये उदासी और तन्हाई ही तो थी जिसने बहुत कुछ सिखाया, जिन्दगी में आगे बढ़ने का रास्ता दिखाया। फिर अपनी उदासी और तन्हाई से दूर जाने की सोच भी कैसे सकता हूँ।
उदासी और तन्हाई से एक बात सीखी कि जैसे हम खुशी का आनंद लेते हैं, ठीक वैसे ही हमें अपनी उदासी और तन्हाई का भी आनंद लेना चाहिये, और मै इनका भी आनंद लेता हूँ।
अगर उदासी और तन्हाई को भली भाँति समझा जाए तो वो ये कहती है कि मै तो इसीलिए तेरे पास आयी हूँ कि मै तेरे हौसले को और मजबूत कर सकूँ।
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