शुक्रवार, 25 अक्तूबर 2019

सिर्फ भाव हैं, ज्ञान नहीं...💐

समझा समझाकर थक गया कि मेरे पास कोई ज्ञान नाम की चीज नहीं है। पर तुम समझते ही नहीं हो, बार बार मुझी से ज्ञान मांगने चले आते हो। मेरे पास शब्द हो सकते हैं, विचार हो सकते हैं, भाव हो सकते हैं लेकिन ज्ञान नहीं, बिल्कुल भी नहीं। अगर ज्ञान होता तो किलो के भाव में घर घर जाकर बेचता और धन्ना सेठ बन जाता।

अरे भैय्या मैं तो खुद ही कन्फ्यूज हूँ, दीन हीन स्थिति में जिंदगी चल रही है और खुद ही ज्ञान की तलाश में निकला हूँ। कुछ लिख देता हूँ तो ज्ञानी समझ लेते हो। मेरे भैय्या ज्ञान के लिए किसी और का दरवाजा खटखटाओ, किसी और के चरण पकड़ो, लेकिन मुझे माफ़ करो।

मैं तो अपने जीवन में घटी घटनाओं को लिखता हूँ, आपबीती सुनाता हूँ। जिसमें रोमांस होता है, ड्रामा होता है, ट्रेडजी होता है, हीरो हीरोइन और खलनायक होते हैं। मेरी दुखभरी और मसालेदार पिक्चर में न जाने तुम कहाँ से ज्ञान के दर्शन पाते हो।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है। मैने सोचा...