बुधवार, 2 अक्तूबर 2019

इशारों में कहिए...💐

कहते हैं परमात्मा की उपस्थिति तो हर जगह है, जगत के प्रत्येक रूप में है। वो सूक्ष्म में भी है और स्थूल में भी। वो पवन में भी है और निर्वात में, वो जड़ में भी है और चेतन में भी। वो हर अणु में है और हर परमाणु में भी। वो दृश्य में भी है और अदृश्य में भी।

जब वो संसार के हर प्राणी में मौजूद हैं, हर किसी के अस्तित्व में मौजूद है, ब्रम्हांड के हर रूप में उसकी उपस्थिति है, जब वो सार्वभौम हैं तो उनकी बात छुपाकर क्यों की जाती है? उनकी बात धीमी आवाज में क्यों बताई जाती है? उनके बारे में हर कोई इशारों में ही क्यों कहता है? जबकि हर कोई उनके बारे में जानना चाहता, उन्हें हर कोई छूकर देखना चाहता है, रहस्यों के पार झांकना चाहता है, पर्दे के पीछे छुपे राज को जानना चाहता है।

अधिकतर लोग कहते हैं परमात्मा की बात खुलकर सार्वजनिक रूप से नहीं करनी चाहिए, इशारों में बता देना चाहिए और इशारों में समझ लेना चाहिए, राज को राज ही रखना चाहिए। लोग शायद सही कहते हैं।

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