बुधवार, 19 जून 2019

विरले व्यक्ति...💐

पनिहारिन की भांति सिर पर उनके वचनों को धारण कर चलना, उन्हें बिना बिसारे रोज के दैनिक कार्यों को करना, पारिवारिक दायित्वों और समस्याओं के बीच संतुलन बनाकर उन्हें जीना बड़ा कठिन है। पता नहीं उनका जीवन कैसा होता होगा जो साहब को जीवन भर पल पल जीते हैं, उनकी प्रतीक्षा में जीवन भर क्षण क्षण मरते हैं।

कदम जब उनकी ओर बढ़ते हैं तो मन और बुद्धि प्रतिकार करता है, शरीर और इन्द्रियाँ विरोध करती हैं। साथ ही साथ हर चेहरा विरोध भी करता है, और इसकी शुरुआत घर परिवार से ही होती है।

चूंकि व्यक्ति किसी और ही धुन में जी रहा होता है, उसे साहब की लगन लगी हुई होती है, उसके जीवन में सर्वप्रथम साहब होते हैं और संसार का अन्य प्रत्येक क्रियाकलाप उसे तुच्छ और नगण्य सा लगने लगता है। ऐसे में उसके और सांसारिक लोगों के बीच विचारों का आपसी खिंचाव होता है, टकराव होता है।

लेकिन इन सबके बीच विवेक से काम लेते हुए द्वन्दों से उबर जाना साहब की अगाध कृपा से ही सम्भव हो पाता है। कहते हैं साहब की ऐसी कृपा किसी विरले व्यक्ति को ही मिल पाती है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है। मैने सोचा...