रविवार, 24 फ़रवरी 2019
टुटता हुआ तारा...💐
शनिवार, 23 फ़रवरी 2019
ज्ञान का दिखावा...💐
जानता हूँ दोस्त आपके पास ज्ञान का अकूत भंडार है, लेकिन क्या करें आपका दिव्य ज्ञान हमको बिल्कुल भी समझ नहीं आता। लोक परलोक की भाषा और बातें जरा भी समझ में नहीं आती। जरा जमीन पर उतरकर बात करो, जरा हिंदी में समझाओ।
अपने दिव्य ज्ञान में जिंदगी की चार बूंदे घोल लो, तबियत से उन्हें जी लो। तब ज्ञान का पिटारा खोलो, तब हृदय की बात कहो। यकीन मानिए सबको अच्छा लगेगा, सबको मीठा लगेगा।
शुक्रवार, 22 फ़रवरी 2019
डायरी के गुलाबी पन्ने...💐
गुरुवार, 14 फ़रवरी 2019
प्रेम पुष्प अर्पित...💐
फिर से कोई सदा के लिए चला गया। दिव्य आलोक का वो पुंज अपने दिव्य स्वरूप में विलीन हो गया। वो इस धरा पर अपने सहज और सरल व्यक्तित्व की छाप छोड़ गया, अपने पदचिन्हों के निशान छोड़ गया। रंग बिरंगे और खुशनुमा यादों से महकता भरा पूरा आंगन छोड़ गया।
न जाने क्यों हर किसी को जाने की विवशता है? न जाने क्यों विधाता ने जीवन और मृत्य की सीमाएं बांध रखी है? लेकिन आप जैसे दिव्य पुंज इन सीमाओं के पार अपने लिए जगह बनाते हैं, मोक्ष और कैवल्य प्राप्त करते हैं, सत्यलोक में अपना आशियाना बनाते हैं।
आपके विशाल व्यक्तित्व की महक सदा स्मृतियों में रहेंगी। आपके विचार, आपका कृतित्व, आपका आलेख और आपका जीवन सदा ही सबका मार्गदर्शन किया करेंगे। आपके दिव्य और सुवासित जीवन के रास्ते में प्रेम का एक पुष्प सादर अर्पित...💐
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बुधवार, 6 फ़रवरी 2019
माघ मेले की तैयारी...💐
वो घड़ी फिर आ गई, माघ मेला फिर आ गया। पुनः साल भर के कर्मों की समीक्षा की बारी आ गई, उनका आँकलन करने की बारी आ गई। पता ही नहीं चला कि अंतर्मन में कब फिर से धूल की परत जम गई, पता ही नहीं चला कि कब मलिन विचारों की बेलों से अस्तित्व लिपट गई। पिछली बार ही तो माघ मेले में इन मैले विचारों को धोया था, अस्तित्व से हटाया था।
थोड़ी झिझक सी है, थोड़ी घबराहट सी है। कैसे उस दिव्य प्रकाश पुंज का सामना करूँ, कैसे और किस भाव से उनके सामने जाऊँ? मन के इन दूषित विचारों को कैसे उनसे छिपाऊँ? रह रहकर मन व्यथित होता है।
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रविवार, 3 फ़रवरी 2019
पदचिन्ह...💐
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तुम वही तो नहीं...💐
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मेरी तन्हाई 💐💐💐
तन्हाई केवल एक एहसास नहीं, बल्कि एक ऐसी गहरी दुनिया है जहाँ कोई और नहीं, बस आप और आपकी सोच होती है। यह एक खाली कमरा नहीं, बल्कि एक भरी हुई क...
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सुख और दुख हमारे जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है। जैसे चलने के दायां और बायां पैर जरूरी है, काम करने के लिए दायां और बायां हाथ जरूरी है, चबाने ...
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जो तू चाहे मुझको, छोड़ सकल की आस। मुझ ही जैसा होय रहो, सब सुख तेरे पास।। कुछ दिनों से साहब की उपरोक्त वाणी मन में घूम रही थी। सोचा उनके जैस...
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पान परवाने का मोल तब समझा जब जिंदगी तबाह होने के कगार पर थी, साँसे उखड़ने को थी। जीवन के उस मुहाने पर सबकुछ दांव पर लगा था, एक एक पल युगों के...