शनिवार, 15 दिसंबर 2018

प्रेम का सही रूप...💐

प्रेम का अर्थ है दूसरे को अपने से अधिक महत्वपूर्ण और मूल्यवान मानना। प्रेम का अर्थ है मेरा सुख गौण है, तुच्छ है, लघु है तथा जरुरत पड़े तो मैं अपने को मिटा दूँ ताकि जिससे प्रेम करते हैं वो बच सके, उसका अस्तित्व बच सके। इस तरह दूसरे के अस्तित्व के लिए अपने अस्तित्व को मिटा देना प्रेम की पराकाष्ठा है।
प्रेम में व्यक्ति अपना रूप, अपनी पहचान, अपना अहं खो देता है तथा दूसरे के लिए जी रहा होता है। इस गहरे प्रेम की दिशा को परमात्मा की तरफ, साहब की तरफ मोड़ दिया जाए, चराचर जगत कल्याण की तरफ मोड़ दिया जाए, तभी उस प्रेम की सार्थकता है। गहरे प्रेम का यह रूप ही प्रेमी को परमात्मा की ओर ले जाता है।

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