जिंदगी सिर्फ एक मौका देती है। इस बार भी बस एक ही अवसर है। हर बार चुकता रहा, करीब पहुँचकर फिसलता रहा। कभी किसी की मोहरा बनता रहा तो कभी किस्मत के हाथों हारता रहा। इस बार ठान ले, चुकेगा नहीं, रुकेगा नहीं, टूटेगा नहीं।
चलना तो अकेले ही है, फिर किसी और से उम्मीद भला क्यों? उस रास्ते अकेले ही चला था, और अकेले ही चलना होगा। हिम्मत तो कर।
सीमाएँ तो तुम्हीं ने बांधी हुई है। सीमाओं से पार जाना है तो बंधन तोड़ दे, बेड़ियाँ खोल दे, उड़ान भर। अकथ की ओर उड़ान, अथाह की ओर उड़ान, अगम्य की ओर उड़ान, निःशब्द की ओर उड़ान, विराट की ओर उड़ान...
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