आज उन्होंने फिर से ढाई इंच अंदर हृदय की बात ढाई अक्षरों में कही। अच्छा लगता है जब सर्वोच्च सत्ता आम लोगों के बीच बैठकर, आम लोगों को जीने का रास्ता बताते हैं। अच्छा लगता जब वो हँसते हैं, मुस्कुराते हैं, लोगों की बड़ी समस्याओं का हल ढाई अक्षरों में कह देते हैं।
उनकी बात सुनकर जीवन का कोना कोना महक जाता है, सारी थकान, सारी पीड़ा, सारा दुख दूर हो जाता है, सारे भ्रम, दूर हो जाते हैं। जब वो कुछ कहते हैं तो फूल झरता है, रेगिस्तान में तपती जिंदगी को उनकी अमृत बून्द मिलती है, इतिहास बनता है, धरती और आसमान उन्हें सुनता है।
मन और आत्मा को फिर भी तृप्ति नही मिलती। लगता है वो सदा यूँ ही सामने रहें, कहते रहें, कहते ही रहें... और जिंदगी बीत जाए...
(Lekhraj Sahu)
lekhrajsahu@gmail.com
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