गुरुवार, 10 जुलाई 2025

जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं अराध्या बेटू, साहब की कृपा सदैव बनी रहे 💕

मेरे साहब 💐💐💐

मैं पंथ श्री प्रकाशमुनि नाम साहब से मर्यादा तोड़कर अपनी हर बात कह दिया करता हूं। हृदय खोलकर उनके चरणों में रख दिया करता हूं। वो मुझे मित्रवत लगते हैं, दिल के करीब लगते हैं, अपने से लगते हैं। उनमें मैं अपना सदगुरु भी देखता हूं और आत्मिक मित्र भी। 

लेकिन पता नहीं क्यों गुरुदेव पंथ श्री हुजूर गृन्धमुनि नाम साहब का विचार आते ही मैं मर्यादित हो जाता हूं, मौन हो जाता हूं, अगाध श्रद्धा और प्रेम से भर जाया करता हूं। वो कुछ और थे, उनका जीवन दिव्य था, उनका दर्शन, उनकी वाणी बड़ी सुगंधित सी थी, वे नस नस में रचे बसे हैं। और यही संवेदनाएं, यही भावनाएं हुजूर उदितमुनि नाम साहब के लिए भी पाता हूं।

वंश गुरुओं की एक दूसरे से तुलना नहीं की जा सकती, हर ताज का समय, देश, काल और सामाजिक परिस्थितियों के अनुसार मानव को मानव से जोड़ने, आत्मा को परमात्मा से जोड़ने की अलग अलग अनुपम और विशिष्ट शैली होती है। आज पुर्णिमा का यह दिन कबीर पंथ के लिए, मानव समाज, जीव जगत और सृष्टि के लिए ऐतिहासिक होने जा रहा है। इस शुभ अवसर पर साहब के चरणों में सादर सप्रेम साहेब बंदगी साहेब।

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रविवार, 15 जून 2025

चरणो में लिपटे रहने देना 💐💐

अजीब तन्हाई है, दूर दूर तक कोई नजर नहीं आता। लोगों के स्वभाव भी बिल्कुल उल्टे और अटपटे से लगते हैं, मानों मैं आम मानव जीवन के बिल्कुल उलट जी रहा हूँ। लगता है जैसे लोग नदी की धारा के साथ बह रहे हैं और मैं नदी की धारा के विपरीत सफर कर रहा हूँ।

संसार और जीवन को देखने की दृष्टि और नजरिया नितांत अलग और जुदा सा है। उन्हें खाने कमाने से फुर्सत नहीं और मुझे साँसों की आती जाती लहरों में डूबने उतरने से फुर्सत नहीं।

बड़ी अनोखी मनोस्थिति है। कभी खामोशी बोलती है, तो कभी शोर भी मौन और खामोश लगता है। यहाँ से सबकुछ बड़ा विचित्र लगता है। कुछ समझ नहीं आता क्या करूँ, कहाँ जाऊँ, किसे दिल का हाल सुनाऊँ? कोई मेरे जैसा भी तो नजर नहीं आता।

हे प्रभु इतनी सी विनती है...जैसे भी हो आपके चरणों में लिपटे रहने देना, हाथ मत छोड़ना। वरना नदी के तेज बहाव में बह जाऊँगा...💐

शनिवार, 14 जून 2025

साहब का घर आगमन 💐💐

आज माता साहब मेरे पैतृक गांव कारी आईं हैं, वो सुबह 8 बजे से ही गांव पहुंच गईं हैं। अभी 4 बजे तक भी इस समय वो साहब के भक्तों के घर घर जाकर बंदगी दे रहीं हैं। गांव के मेरे टूटे फूटे वीरान घर में भी उनके चरण पड़े, जीवन की सारी बुराइयों को छुपाने की नाकाम कोशिशों के साथ उनके चरणों में निढाल हो गया।

लोगों ने, परिजनों ने बंदगी करते हुए खूब फोटो खींची, लेकिन हर बार की तरह मेरी फोटो किसी के कैमरे में नहीं आई। साहब के साथ सेल्फी की इच्छा फिर से अधूरी रह गई।

साहब के चरणों में बंदगी करने के बाद मैं इधर तालाब किनारे भीड़ से दूर भावुकतावश अकेले बैठा हूं। उधर मंचस्थल से माइक में मेरी पत्नी Varsha Sahu का नाम भजन गाने के लिए पुकारा गया है। गांव में लगातार तीन दिनों से सत्संग चल रहा है। 

गांव में मेला लगा है, गांव के पुराने मित्रों, परिजनों से मेलमिलाप हुआ, साहब की राह में जीवन खपाने वाले संतों के दर्शन बंदगी हुए, आज का दिन मेरे और मेरे परिवार के लिए अभूतपूर्व रहा। ऐसे ही साहब की कृपा मिलती रहे, जीवन उनके इर्दगिर्द ऐसे ही गुजर जाए।

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रविवार, 16 फ़रवरी 2025

मेरी तन्हाई 💐💐💐

तन्हाई केवल एक एहसास नहीं, बल्कि एक ऐसी गहरी दुनिया है जहाँ कोई और नहीं, बस आप और आपकी सोच होती है। यह एक खाली कमरा नहीं, बल्कि एक भरी हुई किताब है, जिसमें यादों, अनुभवों और अनकही बातों के पन्ने भरे होते हैं। तन्हाई कभी खुशी की चुप्पी होती है, तो कभी दर्द की चीख। कभी आत्म-विश्लेषण का मौका देती है, तो कभी हमें अपने अंदर की गहराइयों से मिलवाती है। यह एक ऐसा दर्पण है, जिसमें हम अपनी असली पहचान को देख सकते हैं—बिना किसी दिखावे, बिना किसी बनावटीपन के।

तन्हाई के दो रूप होते हैं—एक जो हमें खुद को समझने का अवसर देता है, और दूसरा जो हमें अंदर ही अंदर तोड़ने लगता है। जब हम स्वेच्छा से तन्हाई को अपनाते हैं, तो यह आत्म-साक्षात्कार और शांति का अनुभव कराती है। लेकिन जब तन्हाई जबरदस्ती हमारे जीवन में दाखिल होती है, तो यह एक बोझ बन जाती है, जो दिल और दिमाग को थका देती है। तन्हाई का सबसे बड़ा साथी हमारी यादें होती हैं। कभी वे मधुर होती हैं, जो हमें मुस्कुराने पर मजबूर कर देती हैं, तो कभी वे कड़वी होती हैं, जो आंखों में आंसू ले आती हैं। यह एक अदृश्य पुल की तरह होती हैं, जो हमें अतीत से जोड़ देती हैं, और हम उसी बीते हुए कल में खो जाते हैं।

अगर तन्हाई आपके जीवन का हिस्सा बन गई है, तो इससे डरने की बजाय इसे समझने की कोशिश करें। इसे अपना दुश्मन नहीं, बल्कि दोस्त बनाइए। यह समय है खुद को जानने का, अपने भीतर की आवाज़ को सुनने का और नए सपनों को आकार देने का। किताबें पढ़िए, संगीत सुनिए, लिखिए, और सबसे महत्वपूर्ण—अपने मन से बात कीजिए। तन्हाई का मतलब अकेलापन नहीं होता, यह आत्म अन्वेषण का एक रास्ता भी हो सकता है। अगर हम इसे सकारात्मक दृष्टि से देखें, तो यह हमें खुद से जोड़ सकती है, हमारी रचनात्मकता को निखार सकती है, और हमें एक मजबूत इंसान बना सकती है। तो अगली बार जब तन्हाई आपके दरवाजे पर दस्तक दे, उसे एक प्याले चाय के साथ बैठकर सुनिए। हो सकता है, वह आपको कुछ नया सिखाने आई हो।

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बुधवार, 5 फ़रवरी 2025

सदगुरू कबीर नवोदय यात्रा 💐💐

सद्गुरु कबीर नवोदय यात्रा एक आध्यात्मिक यात्रा है, जिसका उद्देश्य कबीर साहब के विचारों और शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार करना है। यह यात्रा साहब कबीर के अनुयायियों और भक्तों द्वारा आयोजित की जाती है, विशेष रूप से पंथ श्री उदितमुनि नाम साहब के मार्गदर्शन में।

यात्रा का उद्देश्य:
1. साहब कबीर के संदेश का प्रसार – उनके भक्ति, ज्ञान, और समाज सुधार से जुड़े विचारों को जन-जन तक पहुँचाना।

2. आध्यात्मिक जागरूकता – लोगों को आडंबर, रूढ़ियों और भेदभाव से मुक्त होकर सच्चे आध्यात्मिक ज्ञान की ओर प्रेरित करना।

3. धर्म और मानवता का प्रचार – यह यात्रा जाति, धर्म, भाषा आदि के भेदभाव से परे मानवता के उत्थान का संदेश देती है।

4. कबीर साहब के पवित्र स्थलों का भ्रमण – यात्रा के दौरान साहब कबीर से जुड़े विभिन्न तीर्थ स्थलों पर दर्शन किए जाते हैं।

यात्रा की विशेषताएँ:
इसमें साहब कबीर की वाणी, भजन-कीर्तन, प्रवचन और सत्संग होते हैं।

यह यात्रा समय-समय पर विभिन्न राज्यों और धार्मिक स्थलों में आयोजित होती रहती है।

हाल ही में, 2025 के प्रयागराज कुंभ मेले में भी यह यात्रा आयोजित की गई थी।

इससे पहले, राजस्थान जैसे स्थानों में भी यह यात्रा हो चुकी है।

महत्व:
यह यात्रा न केवल कबीर साहब  के उपदेशों को जीवंत बनाए रखने का प्रयास करती है, बल्कि समाज में प्रेम, करुणा और समानता का संदेश भी फैलाती है। यह सभी लोगों को आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर करने का एक माध्यम है।

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रविवार, 14 अप्रैल 2024

साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है।

मैने सोचा की क्यों न इस नवरात्रि पर साहब की साधना किया जाए। मैने अपनी दुकान और व्यवसाय को अपने सहयोगी को सुपुर्द कर दिया और अपने आप को घर के कमरे में बंद कर लिया। सिर्फ दो वक्त खाना खाने और नित्यक्रिया के लिए कमरे से बाहर निकलता था। किसी से कोई बात भी नहीं करता था। 

कमरे में साहब की अमृत कलश ग्रंथ पढ़ता था और नाम सुमिरन के साथ ध्यान करता। नौ दिन और नौ रातें जागता ही रहा। सबकुछ झोंक दिया। वो नौ दिन मेरी जिन्दगी बदलने वाला रहा। जब कमरे से बाहर निकला नयन भीगे हुए थे, दुनिया को देखने का मेरा नजरिया पूरी तरह बदल चुका था। 

कुछ ऐसा हुआ की हाथ पांव लडखड़ा रहे थे, खुशियों से आंखें गीली हो चुकी थी, साहब मेरे नयनों में समा चुके थे, सासों में महक रहे थे, उनकी लालिमा मुझे चहुंओर घेरे हुए थे, उन्हें अपने घर बैठे ही देख पा रहा था। परमात्मा की अनुभूति, उनका अहसास, उनकी दिव्यत्म छुअन मैंने पहली बार महसूस की। उस दिन से मैं उनका हो गया। साधना से मुझे मेरे अनेकों प्रश्नों के उत्तर मिले, लेकिन कुछ प्रश्न अनुत्तरित ही रह गए। जब कभी साहब प्रत्यक्ष मिलेंगे तो उनसे निवेदन करूंगा की वो मेरे अनुत्तरित प्रश्नों का जवाब दें।

पिया मिलन की यादें 💕