लोगों ने, परिजनों ने बंदगी करते हुए खूब फोटो खींची, लेकिन हर बार की तरह मेरी फोटो किसी के कैमरे में नहीं आई। साहब के साथ सेल्फी की इच्छा फिर से अधूरी रह गई।
साहब के चरणों में बंदगी करने के बाद मैं इधर तालाब किनारे भीड़ से दूर भावुकतावश अकेले बैठा हूं। उधर मंचस्थल से माइक में मेरी पत्नी Varsha Sahu का नाम भजन गाने के लिए पुकारा गया है। गांव में लगातार तीन दिनों से सत्संग चल रहा है।
गांव में मेला लगा है, गांव के पुराने मित्रों, परिजनों से मेलमिलाप हुआ, साहब की राह में जीवन खपाने वाले संतों के दर्शन बंदगी हुए, आज का दिन मेरे और मेरे परिवार के लिए अभूतपूर्व रहा। ऐसे ही साहब की कृपा मिलती रहे, जीवन उनके इर्दगिर्द ऐसे ही गुजर जाए।
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