रविवार, 15 जून 2025

चरणो में लिपटे रहने देना 💐💐

अजीब तन्हाई है, दूर दूर तक कोई नजर नहीं आता। लोगों के स्वभाव भी बिल्कुल उल्टे और अटपटे से लगते हैं, मानों मैं आम मानव जीवन के बिल्कुल उलट जी रहा हूँ। लगता है जैसे लोग नदी की धारा के साथ बह रहे हैं और मैं नदी की धारा के विपरीत सफर कर रहा हूँ।

संसार और जीवन को देखने की दृष्टि और नजरिया नितांत अलग और जुदा सा है। उन्हें खाने कमाने से फुर्सत नहीं और मुझे साँसों की आती जाती लहरों में डूबने उतरने से फुर्सत नहीं।

बड़ी अनोखी मनोस्थिति है। कभी खामोशी बोलती है, तो कभी शोर भी मौन और खामोश लगता है। यहाँ से सबकुछ बड़ा विचित्र लगता है। कुछ समझ नहीं आता क्या करूँ, कहाँ जाऊँ, किसे दिल का हाल सुनाऊँ? कोई मेरे जैसा भी तो नजर नहीं आता।

हे प्रभु इतनी सी विनती है...जैसे भी हो आपके चरणों में लिपटे रहने देना, हाथ मत छोड़ना। वरना नदी के तेज बहाव में बह जाऊँगा...💐

शनिवार, 14 जून 2025

साहब का घर आगमन 💐💐

आज माता साहब मेरे पैतृक गांव कारी आईं हैं, वो सुबह 8 बजे से ही गांव पहुंच गईं हैं। अभी 4 बजे तक भी इस समय वो साहब के भक्तों के घर घर जाकर बंदगी दे रहीं हैं। गांव के मेरे टूटे फूटे वीरान घर में भी उनके चरण पड़े, जीवन की सारी बुराइयों को छुपाने की नाकाम कोशिशों के साथ उनके चरणों में निढाल हो गया।

लोगों ने, परिजनों ने बंदगी करते हुए खूब फोटो खींची, लेकिन हर बार की तरह मेरी फोटो किसी के कैमरे में नहीं आई। साहब के साथ सेल्फी की इच्छा फिर से अधूरी रह गई।

साहब के चरणों में बंदगी करने के बाद मैं इधर तालाब किनारे भीड़ से दूर भावुकतावश अकेले बैठा हूं। उधर मंचस्थल से माइक में मेरी पत्नी Varsha Sahu का नाम भजन गाने के लिए पुकारा गया है। गांव में लगातार तीन दिनों से सत्संग चल रहा है। 

गांव में मेला लगा है, गांव के पुराने मित्रों, परिजनों से मेलमिलाप हुआ, साहब की राह में जीवन खपाने वाले संतों के दर्शन बंदगी हुए, आज का दिन मेरे और मेरे परिवार के लिए अभूतपूर्व रहा। ऐसे ही साहब की कृपा मिलती रहे, जीवन उनके इर्दगिर्द ऐसे ही गुजर जाए।

💐💐