शनिवार, 17 अक्तूबर 2020

प्रेम पत्र ... साहब के नाम 💐💐💐

वर्ष 2008 संस्मरण...💐

गंभीर पेटदर्द और अनिद्रा से परेशान था। मेकाहारा अस्पताल के मनोरोग चिकित्सक डॉ. मनोज की देखरेख में भर्ती था। लगता था जिंदगी के दिन बहुत थोड़े बचे हैं। दर्द भरे जीवन से ऊब चुका था और अब जीवन का साथ छोड़ मृत्यु को सहर्ष स्वीकार करना चाहता था। आँसू सुख चुके थे, हृदय पथरा सा गया था, गला सुख रहा था। उस पल बस एक ही इक्छा बार बार हो रही थी कि बस अंतिम बार साहब के दर्शन कर लूं, उन्हें कह दूं कि मुझे इस दर्दभरे संसार के बंधनों को छुड़ाकर अपने लोक ले जाएं और मेरे जाने के बाद अपने करकमलों से मेरी चौका कर देवें।

डॉ. मनोज के चरणों मे विनती कर दो घण्टे के लिए मेकाहारा अस्पताल से छुट्टी ली और दर्द से कराहते ऑटो में बैठकर साहब के आवास प्रकाश कुंज कटोरा तालाब पहुंच गया। वहां किसी संत ने मुझे बताया कि साहब अभी नहीं हैं, उनसे मुकालात नहीं हो पाएगी। लेकिन उन्होंने मुझे साहब का प्रसाद और चरणामृत दिया, उनके चरणों में माथा टेककर वापिस अस्पताल लौट आया। चरणामृत और प्रसाद पाकर मुझे गहरी तृप्ति की अनुभूति हुई, लगा जैसे साहब ही मुझे मिल गए हों।

रात को रोते हुए अस्पताल की बिस्तर पर साहब के नाम प्रेम पत्र लिखा। जिसमें मन के भाव, उनके लिए तड़प, बेचैनी लिखी। लिखा कि जब जीवन की शाम हो तो उनके चरणों में हो। उन्हें लिखते लिखते कब सुबह हो गई पता ही नहीं चला।

मैं बारह दिन अस्पताल में रहा, रोज साहब को प्रेम पत्र लिखता रहा। उन्हें लिखते लिखते अपनी पीड़ा भूल जाता, साहब में लीन हो जाया करता। समय के साथ मेरी बीमारी ठीक होने लगा, लेकिन अफसोस कि वो प्रेम पत्र कभी साहब तक पहुंच नहीं पाए। हाँ, पर आज फेसबुक के माध्यम से साहब को प्रेम पत्र लिखता हूँ, और वो मेरे प्यार भरे खत, मेरी तड़प, बेचैनी पढ़ते हैं।

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