मेरी पुकार की सार्थकता तब है जब वो मुझे याद करें, जब वो मुझे पुकारे, जब वो मेरी सुरति करें, जब वो मेरा ध्यान धरें। मेरी प्रार्थना तब सफल होगी जब वो मेरे लिए बेचैन रहें, मुझे सुलाने के लिए खुद रात रात भर जागें, मेरे साथ हँसे और मेरे साथ रोएँ, पल पल मुझे सजाए और पल पल मुझे संभालें। मेरी पुकार तब सार्थक होगी जब निशदिन उनके जेहन में मैं रहूं।
ऐसे अनेकों लोग होंगे इस दुनिया में, अनेकों पूण्य आत्माएँ होंगी इस जगत में, जिन्हें साहब निशदिन देखा करते होंगे, जिनकी साहब फिक्र किया करते होंगे, जिनके लिए साहब व्याकुल हुआ करते होंगे। न जाने वो कैसे लोग होंगे जिनकी चिंता साहब को होती होगी, परमात्मा को होती होगी। ऐसे लोगों का जीवन निश्चित ही दिव्यता से ओतप्रोत होता होगा। उफ़, सोचकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
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