शनिवार, 28 सितंबर 2019

ताज पर उंगली मत उठाओ...💐

क्या यार... छोटी छोटी बातों में पीढियां गिना देते हो, तलवार निकाल लेते हो। जो बात समझ नहीं आती, या किसी पोस्ट के विषय में आप नहीं जानते तो उस पर कमेंट ही क्यों करते हो?

बड़े गुरुर से अपने को उसी एक बरगद की शाखा समझते थे, परिवार का हिस्सा समझते थे। जिसकी छांव में अब तक जिंदगी गुजारी, पीढियां गुजारी। आज उसी बरगद की जड़ों को खोदना चाहते हो, उसी परिवार से अलग होने की बात करते हो।

एक बात समझ लो कि परिवार का मुखिया हमेशा परिवार को एकसूत्र में जोड़े रखना चाहता है, सबको खुश देखना चाहता है। वो तो हर डाली, हर फूल और हर पत्तों को अपने शरीर का अंग समझकर खून से सींचता है। जब वो कुछ कहता है तो किसी एक के लिए नहीं कहता, बल्कि सबकी बात कहता है, सबके भले के लिए कहता है। मुखिया को हर जायज और नाजायज बात पर नाराज होने का हक़ है, डांटने का हक़ है। उनकी हर बात परिवार के सभी सदस्यों के लिए शिरोधार्य होनी चाहिए।

एक बात और समझ लो कि ताज पर उँगली उठाने वाले कितनों आए और कितनों खाक हो गए। लेकिन ताज को हिला भी न सके। वो तो रूहानी है, पारलौकिक है।

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