बुधवार, 5 जून 2019

निःशब्द ...💐

किसी संत ने कहा था कि साहब की कृपा सिर्फ उनके दर्शन करने से ही नहीं मिलती, सिर्फ बंदगी करने से ही नहीं मिलती, बल्कि उनकी आज्ञा का पालन करने से स्वतः ही व्यक्ति कृपा का पात्र हो जाता है।

चूंकि उनकी आज्ञा में विराट जनसमूह और जीव जगत का हित निहित होता है। अतः उनके आदेशित कार्य को पूरा करते ही हम भी जगत कल्याण के उनके उद्देश्य को चाहे अनचाहे पूर्ण करने की दिशा में बढ़ जाते हैं। जिसका प्रतिफल उनकी कृपा के रूप में जीवन के ढलान पर हमें प्राप्त होता है।

उन्होंने अपने किसी प्रवचन में पेड़ लगाने पर बल दिया था, उस संत ने अपने गांव में पेड़ रोपे और जीवन के कठिन दौर में उस महात्मा को प्रतिफल के रूप में साहब की निःशब्द कृपा प्राप्त हुई।

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