सोमवार, 24 जून 2019

कुंडलिनी जागरण...💐

जब कभी खास तरह के संतों से मुलाकात होती है, सत्संग होता है, गहरी बात निकलती है, तो वो अक्सर "कुंडलिनी जागरण" जैसे शब्दों की चर्चा करते हैं, और इस पर आकर बात अटक जाती है। मैं समझ नहीं पाता, और कन्फ्यूज हो जाता हूँ।

इसके आगे तो हवा में उड़ने, गायब होने जैसी बात कहते हैं और उनकी ये बातें किसी जादुई दुनिया जैसी लगती है। संतों की ऐसी बातें मुझे विचलित कर देती है। ऐसा लगता है जैसे उनके लिए खाना भी अपने आप प्रगट होता है, पानी भी अपने आप प्रगट होता है, उनके जीने के लिए रुपया भी अपने आप प्रगट होता है।

ऐसा ही है तो ऐसे संत, गृहस्थों और संसार पर आश्रित जीवन क्यों जीते हैं, उन्हें समाज और परिवार की आवश्यकता ही क्यों होती है? वो तो जिंदा रहते ही सीधे स्वर्ग लोक जा सकते हैं। फिर उन्हें धरती पर रहने की क्या जरूरत? ऐसे प्रश्नों पर उनका उत्तर होता है कि संत लोग तो जनकल्याण के लिए ही धरती पर रहते हैं। लेकिन मुझे उनका यह तर्क और उत्तर संतुष्ट नहीं करता।

क्या आप बता सकते हैं कुंडली जागरण के बारे में? क्या आप बता सकते हैं मेरे प्रश्नों के उत्तर? क्या आपने किसी को हवा में उड़ते हुए देखा है? गायब होते देखा है?

मेरे मन में यूं ही कई ख्याल आते हैं, विचार और प्रश्न आते हैं, जिसका उद्देश्य संतों का मान घटाना बिल्कुल भी नहीं है, संतों पर उंगली उठाना बिल्कुल भी नहीं है, क्योंकि वो सच में जनकल्याण के लिए ही जीते हैं। लेकिन क्या करूँ, न चाहते हुए भी ऐसे अजीब प्रश्न मन में आ ही जाते हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है। मैने सोचा...